
जमीन का फैलाव
Spread of land
The shape of the land is of the size of the square or the importers and similar land is considered to be the best for building houses. Many times the spread (increasing of the lands) is also done in these lands, whose benefits and disadvantages are explained as follows.
जमीन की आकृति वर्ग के आकार की या फिर आयातकार ही होती है और इसी तरह की जमीन ही मकान बनाने के लिए ही सबसे अच्छी मानी जाती है। कई बार इन जमीनों में फैलाव (जमीनों को बढ़ाना) भी किया जाता है, जिनके पड़ने वाले लाभ तथा नुकसान के बारे में निम्नानुसार बताया गया है जैसे-
दक्षिण-पश्चिम दिशा वाली जमीन- अगर कोई व्यक्ति अपनी जमीन को दक्षिण-पश्चिम दिशा (Southwest direction) की तरफ फैला लेता है तो ऐसे व्यक्ति के स्वास्थ्य में गिरावट आने लगती है तथा उसको मानसिक लड़ाई-झगड़े भी होने लगते हैं। उसका मान-सम्मान भी पूरी तरह से नष्ट होने लगता है।
पश्चिम-दक्षिण दिशा वाली जमीन- पश्चिम-दक्षिण दिशा की तरफ जमीन को फैलाने वाले या बढ़ाने वाले व्यक्ति के शरीर में गिरावट आने लगती है तथा उसको कोई ना कोई मुकद्दमा भी लड़ना पड़ता है।
उत्तर-पश्चिमी दिशा की जमीन- इस तरह की जमीन को फैलाने वाले व्यक्ति के साथ दुर्घटना आदि हो जाती है तथा उसके घर में हमेशा लड़ाई-झगड़े भी हो सकते हैं।
पूर्वी-उत्तर दिशा की जमीन- पूर्वी-उत्तरी दिशा यानि कि उत्तरी-पूर्वी दिशा (North-east direction)की तरफ जमीन को फैलाने पर व्यक्ति को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।
दक्षिण-पूर्वी दिशा की जमीन- दक्षिण-पूर्वी दिशा की तरफ फैलाव वाली जमीन लगातार तरक्की देने वाली होती है।
पूर्वी-दक्षिणी दिशा की जमीन- इस तरह की जमीन पर मकान बनने पर अगर इसका मुख्य रास्ता या गेट पूर्वी-दक्षिण दिशा की तरफ निकाला गया तो इससे मकान के मालिक को नुकसान हो सकता है।
उत्तर-पश्चिम की दिशा की जमीन- वास्तु शास्त्र के अनुसार उत्तर-पश्चिम की दिशा में जमीन को आगे की तरफ निकालने से व्यक्ति को दिमाग में सिर्फ चिंता ही पैदा होगी तथा मालिक को बदनामी मिलेगी। इस तरह की जमीन पर व्यक्ति को आर्थिक तरक्की तथा व्यक्तिगत तरक्की में सहना पड़ सकता है।
पश्चिमी-उत्तर दिशा (West-north direction) की जमीन- इस तरह की जमीन को आगे की तरफ फैलाने पर व्यक्ति को मुकद्दमें में हानि होने का संकेत प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्तियों के दुश्मन भी काफी होते हैं तथा इनको धन का नुकसान भी उठाना पड़ता है।
पूर्वी-उत्तर दिशा की जमीन- पूर्वी-उत्तर दिशा की तरफ घर का मुख्य दरवाजा नहीं होना चाहिए। इस तरफ दरवाजा होने पर मकान के मालिक को सिर्फ नुकसान ही होता है।
पूर्वी-उत्तरी दिशा की जमीन का फैलाव- इस तरह की जमीन का फैलाव यदि पूर्वी-उत्तर दिशा की तरफ किया जाए तो इससे व्यक्ति को तरक्की मिलती है।
उत्तरी-पूर्व की दिशा की जमीन का फैलाव- Vastu Shastra के अनुसार उत्तरी-पूर्वी दिशा पर जमीन का फैलाव करने वाला व्यक्ति ऐश्वर्य को प्राप्त करने वाला होता है।
दक्षिण-पूर्वी की दिशा की जमीन पर फैलाव- इस तरह की जमीन पर फैलाव करने वाले व्यक्ति को कानूनी, वाद-विवाद, आर्थिक, परेशानी तथा रोगों के होने के बारे में मिलता है।
पूर्वी-दक्षिणी दिशा की जमीन पर फैलावः-
ऐसी जमीन के पूर्वी-दक्षिण दिशा (East-south direction) में फैलाव होने पर इस जमीन के मालिक के बच्चों की तरक्की में रूकावट आने लगती है तथा ऐसी जमीन वाले व्यक्ति की बहुत ज्यादा धन का खर्चा भी होने लगता है।
पश्चिम-दक्षिण दिशा की जमीन का फैलाव- अगर इस तरह की जमीन का फैलाव पश्चिम-दक्षिण की दिशा की तरफ किया जाए तो ऐसे व्यक्ति को आर्थिक हानि, बदनामी तथा निराशा ही हाथ लगती है।
दक्षिण-पश्चिमी दिशा की जमीन का फैलाव- वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा की तरफ जमीन का फैलाव करना बहुत ज्यादा नुकसान दायक होता है।
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