बिहार की शोक नदी | Kosi Nadi Ki Jankari

कोसी नदी की संपूर्ण जानकारी

कोसी नदी भारत और नेपाल की एक प्रमुख नदी है, जिसे ‘बिहार की दुखदायी नदी’ (Sorrow of Bihar) भी कहा जाता है। यह अपनी बाढ़ प्रवृत्ति के कारण कुख्यात है और हर साल बिहार के बड़े हिस्से में बाढ़ लाने का कारण बनती है।

कोसी नदी का उद्गम स्थल

  • कोसी नदी का स्रोत हिमालय के तिब्बती पठार और नेपाल में स्थित गोसाईंथान ग्लेशियर से होता है।
  • यह नेपाल के कई पहाड़ी क्षेत्रों से होकर भारत में प्रवेश करती है और अंततः गंगा नदी में मिल जाती है।

प्रवाह मार्ग और कुल लंबाई

  • कोसी नदी की कुल लंबाई 730 किलोमीटर है।
  • यह नेपाल और भारत के बिहार राज्य से होकर बहती है।
  • बिहार में यह कई जिलों से गुजरती है और खगड़िया जिले के पास गंगा नदी में मिलती है।

कोसी नदी की सहायक नदियाँ

कोसी नदी कई सहायक नदियों से मिलकर बनी है, जिन्हें ‘सप्त कोसी’ कहा जाता है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं:

  • तमोर नदी
  • अरुण नदी
  • सुन कोसी नदी
  • लिखु कोसी नदी
  • दुध कोसी नदी
  • इंद्रावती नदी
  • भोटे कोसी नदी

बिहार में बाढ़ और कोसी की विभाजक प्रकृति

  • कोसी नदी हर साल अपना प्रवाह मार्ग बदलती रहती है, जिससे बिहार में बाढ़ की समस्या बनी रहती है।
  • इसके प्रवाह परिवर्तन के कारण अब तक लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं।
  • इसे ‘बिहार की शोक नदी‘ कहा जाता है, क्योंकि यह कई बार जान-माल की भारी क्षति पहुँचाती है।

कोसी नदी पर प्रमुख बाँध और परियोजनाएँ

  • कोसी बाँध (नेपाल-बिहार सीमा पर) – इसे बाढ़ नियंत्रण और सिंचाई के लिए बनाया गया है।
  • कोसी बैराज (नेपाल के सप्तारी जिले में) – यह भारत और नेपाल के बीच की एक संयुक्त परियोजना है।
  • कोसी तटबंध परियोजना – यह बिहार सरकार द्वारा बाढ़ नियंत्रण के लिए बनाई गई एक तटबंध प्रणाली है।

कोसी नदी का आर्थिक और कृषि महत्व

  • नेपाल और बिहार में कृषि के लिए यह नदी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • इसके पानी से धान, गन्ना, गेहूँ और अन्य फसलों की खेती होती है।
  • यह सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन में भी सहायक है।

पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय प्रभाव

  • कोसी नदी अपने साथ बड़ी मात्रा में गाद (सिल्ट) लाती है, जिससे इसका प्रवाह मार्ग बदलता रहता है।
  • बाढ़ के कारण भूमि की उर्वरता बढ़ती है, लेकिन विस्थापन की समस्या भी उत्पन्न होती है।
  • जलवायु परिवर्तन और हिमालय में ग्लेशियर पिघलने से इस नदी के जल प्रवाह में परिवर्तन हो रहा है।

ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

  • कोसी नदी का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में “कोशी” नाम से मिलता है।
  • यह क्षेत्र प्राचीन मिथिला (वर्तमान बिहार) और नेपाल की संस्कृति से जुड़ा हुआ है।
  • इसके तट पर कई ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल स्थित हैं।

कोसी नदी की और अधिक जानकारी के लिए नीचे दी गई वीडियो को अवश्य देखें।

निष्कर्ष

कोसी नदी भारत और नेपाल के लिए एक महत्वपूर्ण नदी है, जो कृषि, सिंचाई और जलविद्युत के लिए उपयोगी है। हालाँकि, इसकी बाढ़ प्रवृत्ति हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इस नदी को नियंत्रित करने के लिए कई परियोजनाएँ चलाई जा रही हैं, लेकिन इसके प्रभावों को पूरी तरह रोकना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।

  • कोशी नदी, जिसे कोसी या कौशिकी भी कहा जाता है, उत्तर भारत की प्रमुख एवं पवित्र नदियों में से एक है।
  • स्कंदपुराण के मानसखण्ड में इस नदी का उल्लेख ‘कौशिकी’ के नाम से हुआ है।
  • यह उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण नदी है।
  • यह रामगंगा की सहायक नदी है। नदी के तट पर कैर तथा शीशम के जंगल पाए जाते हैं।
  • कोशी नदी की लंबाई 168 किलोमीटर है तथा इसका अपवाह क्षेत्र लगभग 346 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।

यद्यपि कोशी नदी उत्तर भारत की महत्वपूर्ण एवं प्रमुख नदियों में से एक है, परंतु पिछले कुछ दशकों में यह विलुप्ति की ओर बढ़ रही है। लगभग 30-40 वर्ष पूर्व कोशी नदी की लंबाई 225 किलोमीटर तक थी, लेकिन दुर्भाग्यवश 2017 तक यह सिमटकर केवल 41 किलोमीटर ही रह गई। पहले इसकी लघु सरिताओं (गधेरों) की संख्या 1,820 थी, जो 2017 में घटकर मात्र 118 रह गई। इन लघु सरिताओं के सूखने के कारण ही कोशी महज 41 किलोमीटर तक सिमट चुकी है।

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