महाकुम्भ के बाद गंगा नदी की स्थिति
दोस्तों, जैसा कि आप सभी जानते हैं कि प्रयागराज में जो महाकुम्भ हुआ था। इस बार MAHAKUMBH 2025, 144 वर्षों के बाद हुआ था, जिसमें लगभग 66 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाकर अपने आपको पुण्य के भागी बनाया।
गंगा-यमुना-संसरवती संगम का धार्मिक महत्व
ग्रंथों के अनुसार, गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का त्रिवेणी संगम एक तीर्थ स्थल है, जिसे पुराणों में वर्णित किया गया है। इसे प्रयागराज के नाम से जाना जाता है।
महाकुम्भ को सफल बनाने के प्रयास और कुछ दुखद घटनाएँ
MAHAKUMBH 2025 का सफल आयोजन करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने दिन-रात एक कर इस आयोजन को सफल बनाने का प्रयास किया। लेकिन कुछ घटनाएँ ऐसी हुईं, जिन्होंने मन को दुख पहुँचाया। इनमें से लगभग 30 लोगों की जान चली गई, जो हम सभी के लिए पीड़ा का कारण बनी। दिल्ली रेलवे स्टेशन की घटना ने सरकार और जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया। हालांकि, महाकुम्भ में भाग लेने के लिए भीड़ कम नहीं हुई और भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व से लोगों ने आकर महाकुम्भ में भाग लिया, जिससे सनातन के इस महापर्व को सफलता मिली।
सरकारी मदद और संवेदनाएँ
इन दुखद घटनाओं के बाद भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने उन पीड़ित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की और उनकी मदद की। मृतकों के परिवारों को 30 लाख रुपये की सहायता दी गई, जबकि घायलों के परिवारों को भी मदद दी गई। हम जानते हैं कि इस दुःख की भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन यह मदद उस परिवार को थोड़ी राहत दे सकती है। हमारी भी उन पुण्यात्माओं के प्रति संवेदना है, और हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वे उन दिव्य आत्माओं को अपने चरणों में स्थान दें और उन परिवारों को इस दुख को सहन करने की शक्ति दें।
गंगा नदी के प्रदूषण पर अफवाहें
अब, आइए समझते हैं कि कई लोगों ने वीडियो और मीडिया के जरिए यह अफवाह फैलाने की कोशिश की कि जहाँ 66 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई, वहाँ गंगा का पानी प्रदूषित हो गया होगा। इसके बारे में रोज़ नई बहसें सुनने को मिलती थीं। कुछ लोगों ने तो यह भी कहा कि जो पाप करता है, वही गंगा में नहाता है। यह बात वास्तव में सोचने वाली है।
क्या सच है? आइये जानते हैं-
वैज्ञानिकों की प्रमुख टीमों ने जांच की और यह बताया कि गंगा का जल बिल्कुल शुद्ध है और रोगाणुमुक्त है महाकुंभ के बाद में। देश के प्रमुख वैज्ञानिक, जिन्हें पद्मश्री से नवाजा गया है, डॉ. अजय सोनकर ने एक अध्ययन के हवाले से यह बताया कि गंगा का पानी इतना मीठा है, जिसमें हजारों प्रकार की बैक्टीरियोफेज़ (bacteriophages) हैं, जो प्राकृतिक रूप से प्रदूषण को खत्म करने के लिए काम करती हैं। यह गंगा के जल की अद्भुत क्षमता है, जिसे सुनकर दुनिया के वैज्ञानिक भी हैरान हैं।
गंगा का जल: शुद्ध और चमत्कारी
गंगा वारि मनोहरी मुरारी चरण चरण चायतुन।
त्रिपुरारी शीरचरि पापहारी पुनातु माँ।
गंगा जल पवित्र तो है ही, और इसे चमत्कारी भी कहा जाए तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी।
वैज्ञानिकों का तथ्य और तर्क
यूरोपीय वैज्ञानिकों और स्पेन में चल रहे वैज्ञानिक कॉन्क्लेव में विश्व के सभी वैज्ञानिकों का समिट हुआ। वहां इस बात पर जोर दिया गया कि भारत में जो महाकुम्भ हुआ, उसमें लगभग 66 करोड़ लोगों ने आस्था की डुबकी लगाई और गंगा का जल प्रदूषित नहीं हुआ, ऐसा कैसे हुआ? क्योंकि जब इंसान नहाता है तो उसके शरीर से माइक्रोबायोलॉजिकल तत्व और जीवाणु मुक्त होते हैं, जिससे पानी प्रदूषित हो जाता है। लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ?
इस प्रश्न का उत्तर भारत के मशहूर पद्मश्री वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर ने अपने रिसर्च का हवाला देते हुए दिया। उन्होंने बताया कि गंगा जल में मौजूद बैक्टीरिया फेज़ की कई प्रजातियाँ हैं, और बैक्टीरिया फेज़ के कारण गंगा नदी की पवित्रता बनी रहती है। गंगा जल में ड्रग रेजिस्टेंस या एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट बैक्टीरिया को मरने में सक्षम है। गंगा जल की यह खूबी जानकर पूरी दुनिया के वैज्ञानिक जगत में खलबली मच गई है। ग्लोबल वैज्ञानिकों के रिसर्च के लिए यह क्रांतिकारी और चौंकाने वाली बात है, क्योंकि गंगा में सभी प्रकार के बैक्टीरिया को मारने वाला बैक्टीरिया फेज़ मौजूद है, जो बड़े स्तर पर हर प्रकार के जीवाणु को निष्क्रिय कर रहा है।
भारत ने करोड़ों वर्ष पहले ही इस नदी को पहचान लिया था, जो आज विश्व के पटल पर आ रहा है। जब सच सामने आया गंगा नदी के बारे में, तो वैज्ञानिक जगत में हलचल मच गई। इसलिए भारत ने इस नदी को माता की संज्ञा दी थी और इसे मोक्षदायिनी, तरणतरणी कहा जाता है। इसका जल हर प्रकार से पूजनीय और उपयोगी है।
गंगा जल की उपयोगिता: कैसे पता चला?
अब हम जानेंगे कि गंगा का जल उपयोगी कैसे है और यह कैसे पता किया गया:
ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया फेज़ से होने वाली जानलेवा बीमारियाँ दुनिया भर के वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय हैं, लेकिन अब तक इस पर पूरी सफलता नहीं मिल पाई है। इसके बावजूद, यह जानकर लोगों के मन में आशा की किरण जागी है। गंगा में कई प्रकार के बैक्टीरिया फेज़ का पता चला है, जो ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया को मारने में सक्षम हैं।
गंगा जल की अद्भुत क्षमता
गंगा जल उन बैक्टीरिया को मार सकता है, जिन्हें दवाइयाँ खत्म नहीं कर पातीं। गंगा में कई बैक्टीरिया फेज़ मौजूद हैं, जैसे कि पराइड फेज़, जो ड्रग रेजिस्टेंट बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। वैज्ञानिक अब यह जानना चाहते हैं कि यदि इस नदी में बैक्टीरिया फेज़ हैं, तो क्या इससे रोगों को खत्म किया जा सकता है? यह उनके रिसर्च का प्रमुख विषय है।
भारतीय नदियों के संरक्षण में मदद
अगर ऐसा होता है, तो भारतीय नदियों के प्रबंधन, विस्तार और संरक्षण में मदद मिलेगी, जिससे भारतीय नदियों को गंदा होने से बचाया जा सकेगा। साथ ही, इससे पर्यटन के मार्ग भी खुलेंगे और लोग भारत की नदियाँ देखने के लिए यहाँ आ सकते हैं।
सावधानियाँ
यदि भारत की गंगा नदी में कोई केमिकल कचरा नहीं मिलाया जाएगा, तो सभी भारतीय नदियाँ गंगा के जल से पवित्र की जा सकती हैं।
निष्कर्ष
भारत के मशहूर वैज्ञानिक डॉ. अजय सोनकर ने महाकुंभ के दौरान 45 दिनों तक गंगा के पानी पर रिसर्च किया। जब उनका रिसर्च पूरा हुआ, तो उनके शोध के परिणामों ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया। इसलिए उन्हें यूरोपीय ग्लोबल एक्ज़ीक्यूटिव साइंटिफिक सोसाइटी द्वारा स्पेन के समिट में बुलाया गया है। वह वहां सभी वैज्ञानिकों का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिससे भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ेगा।